संजय शांडिल्य की प्रेम कविताएं
लौटना जरूरी नहींकि लौटो यथार्थ की तरहस्वप्न की भी तरहतुम लौट सकती हो जीवन में जरूरी नहींकि पानी की तरह लौटोप्यास की भी तरहलौट सकती हो आत्मा में रोटी की तरह नहींतो भूख की तरहफूल की तरह नहींतो सुगंध की तरहलौट सकती हो और हाँ,जरूरी नहीं कि लौटनाकहीं से यहीं...