प्रदीप कुमार शर्मा की लघुकथा ‘कर्ज़’
वह बहुत चिंतित था. ‘लाकडाउन की वजह से काम से बैठे हुए चार महीने से ऊपर हो गए. फैक्ट्री चालू हो तब तो कोई काम हो और पैसा आए. हमारी हालत तो ऐसी है. न सड़क पर बंट रहे खाने पीने की सामग्री ले सकते हैं और न ही फ्री में मिल रहा आटा, दाल, चावल.’
‘कुछ पैसे भी बचा रखे थे. वह भी खत्म होने को है. परिवार को भूख से बचाने का अब तो यही एक उपाय रह गया है किसी महाजन से सूद पर कर्ज ले लें.’
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प्रदीप कुमार शर्मा
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