श्रीराजेश की दो कविताएं
श्रीराजेश देखो कामरेड देखो कामरेड , देखो सर्दी की ठिठुरन की मार के निशान उसके रक्ताभ चेहरे पर किस कदर दिख रही है अब वह बड़े मालिक को बेड टी देने लायक नहीं रहा उसकी धमनियों में बहता खून लंबे-चौड़े भाषण सुनते-सुनते फ्रिज हो गया हैं अब हाथों...
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