Monthly Archive: January 2019
जबलपुर में कवि मलय से मुलाकात पर लिखा है डॉ करण सिंह चौहान ने अजीब बात थी कि मध्यप्रदेश के अधिकांश शहरों में जाना हुआ लेकिन जबलपुर में जाना यह पहली बार हुआ । और जाना भी क्या ऐसा-वैसा ! अपने वरिष्ठ कवि मलय का सम्मान करने के लिए जाना...
मानबहादुर सिंह लहक सम्मान 2019 के चौथे आयोजन के तहत दिनांक 24- 01- 2019 को दोपहर एक बजे रामघाट चित्रकूट (नवगाँव) स्थित रहीम की कुटिया में कविता पाठ एवं परिचर्चा गोष्ठी सम्पन्न हुई । गोष्ठी का संयोजन युवा कवि नारायण दास गुप्त ने किया एवं अध्यक्षता डा़ कर्णसिंह चौहान ने...
अगर समाज में सबकुछ ठीक हो, सबकुछ अनुकूल हो तो लेखक कुछ नहीं लिख पाएगा क्योंकि साहित्य की प्रासंगिकता विरोध में ही होती है। यह मानना है वरिष्ठ और मशहूर आलोचक कर्ण सिंह चौहान का। लखनऊ के लोकोदय प्रकाशन की ओर से “समकालीन साहित्यिक परिदृश्य और घटती पाठकीयता” विषय पर...
1.उम्मीदों का नया आकाशकिसी शहर की सड़क कीपरित्यक्त पुलिया के किनारेठहरकर देखना कभी कि वहां दिखेंगे तुम्हेंधंसते हुए से धरातलमटमैले से भावों को समेटेस्याह बादलों मेंगुम होता हुआ जीवन जीवन ,हां वह जीवनजो संघर्ष करता है अंधियारे भोर से लेकर मटमैली शाम तकजिजीविषा से जूझते हुएबाज़ार के किनारे परलगा लेते हैं अपनी...
क्या है जिन्दगी? जिन्दगी पायजामे के उस नाड़े सी है जिसे, जितना जल्दी सुलझाना चाहता हूं, उतनी ही उलझती चली जाती है। जिंदगी शहर के, उस ट्रेफिक जाम जैसी है कि जब दौड़ना चाहता हूं, फंस सी जाती है। जिंदगी गांव के छोर की उस अंतिम बस्ती सी है, जो...
इस राष्ट्र में इस राष्ट्र में मंदिर भी होना चाहिए इस राष्ट्र में मसजिद भी इस राष्ट्र में चर्च भी इस राष्ट्र में हिंदू भी होने चाहिए इस राष्ट्र में मुसलमान भी इस राष्ट्र में ईसाई भी इस राष्ट्र में क्या सब मानव ही रहते हैं ? अजब उधेड़बुन चल...
1. क्या हो कि अगर क्या हो कि अगर शहर ना हो तो शायद नहीं बिकेंगी शरीर और आत्माएँ ‘इश्क़ में शहर होना’ जैसी सारी संभावनाएं सिरे से खारिज की जा सकेंगी नहीं करेगी कोई प्रेमिका अपने प्रेमी का इंतज़ार शहर के बगीचे में सभी रास्ते सिर्फ गाँव को जाते...
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